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Showing posts from January 15, 2017
बिना आरम्भ के मंज़िल नहीं मिलती।  
मीठे शब्द सुनने वाले व बोलने वाले दोनों को अच्छे लगते हैं। 
स्वयं को स्वीकार किए बिना आप विकास नहीं कर सकते। 
अपने भीतर झांकें। आपको अपनी कई खूबियों का पता चलेगा। 
जो आपको मिला है उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दें। 
जो काम हाथ में लें उसे पूर्ण अवश्य करें। अपूर्ण कार्य अधिक निराश देते हैं। 
जो करें आनंद से करें। इससे थकावट नहीं होती।