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Showing posts from May 29, 2016
आप स्वयं एक चमत्कारर हैं। सिर्फ पहचानने की आवश्यकता है। 
केवल कर्म ही फलित होते हैं। 
आप एक बूंद में पूरा सागर हैं। 
सृजन में क्लांत मन को शांत करने की शक्ति है। 
भिन्नता प्रकृति की पहचान है। इसका सम्मान करें। 
दूसरों को खुश करने से शांति मिलती है। 
आप के भीतर ही शक्ति है। 
बिना आत्मविश्वास के कुछ संभव नहीं है।