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Showing posts from September 9, 2012
हमारे विचार हमारा दर्पण हैं जिस में हमारा व्यक्तित्व नज़र आता है।
विचारों को व्यक्त करने की आज़ादी वहीँ तक अच्छी है जहाँ तक सीमाओं का उलंघन न हो।
हिंदी हमारी मातृभाषा है। यह जन साधारण की भाषा है। इस बहुभाषी देश को जोड़ने का काम हिंदी ही कर सकती है। जय हिंद।
चिंता हमारी सोंच को दूषित कर हमें कायर बना देती है।
रिश्तों की  हमें उसी प्रकार देखभाल करनी पड़ती है जैसे की पौधों की। उन्हें प्रेम से सींचना पड़ता है ताकि वे मुरझा न जाएँ।
भविष्य के लिए सबसे अच्छा विनियोग है बच्चों में सदगुण पोषित करना।
ज़रूरतें पूरी हो सकती हैं इच्छाएं नहीं।
साहस  के द्वारा असंभव भी संभव हो जाता है।
बिना पहले पायदान पर कदम रखे कोई ऊपर नहीं पहुँच सकता है।