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Showing posts from March 25, 2012
ईश्वर ने जब हमें आश्रय का आश्वासन दिया है तो निराश होना पाप है.
संतुलन जीवन का आधार है. संतुलित मस्तिष्क समस्त इच्छाओं, क्रोध, भय से रहित शांति में रहता है.
अपने सम्पूर्ण जीवन में हम सुख दुःख, हानि लाभ, मिलन विछोह, पसंद नापसंद, प्रेम घृणा, प्रसंशा निंदा, इत्यादि विरोधी भावों के मध्य झूलते रहते हैं. परन्तु शांति इन सभी भावों में समता बनाने में है.
जब आप अंधकार में भटक रहे हों और कोई मार्ग दिखाई न दे तो अर्जुन की भांति ईश्वर की शरण में चले जांयें, ईश्वर आपको सही मार्ग दिखायेंगे.
 जिस प्रकार प्राण दायक वायु वातावरण में विद्यमान है  उसी प्रकार  ईश्वर सर्वव्यापी है और हमारे जीवन का   आधार है.
नकारात्मक सोंच आपका सब कुछ ले लेती है और आपके पास कुछ नहीं रहता जबकि सकारात्मकता आपसे कुछ नहीं लेती परन्तु बहुत कुछ देती है.
यदि हम दृढ़ रहें और हिम्मत न हारें तो समस्याएं हम से हार जाएँगी.