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Showing posts from August 12, 2012
हमारे भीतर गुणों एवं अवगुणों का एक संघर्ष जारी है. यह तब तक चलेगा जब तक हम अवगुणों पर पूर्ण विजय  प्राप्त न  कर लें.
जो अपनी आत्मा में रमण करता है वह सदैव पूर्ण आनंद में रहता है.
हमारी दृष्टि केवल आवरण{काया}  देखती है उसके पीछे के मूलतत्व{आत्मा} को नहीं. यही दृष्टि भेद उत्पन्न करती  है.
धर्म ईश्वर के करीब ले जाकर हमें एक करने के लिए है, हमे पृथक करने के लिए नहीं.
स्वतंत्रता हमें जीवन में आगे बढ़ने का अवसर देती है , अपने मानदंडों पर जीने का अधिकार देती है , ज्ञान अर्जित करने का मौका देती है. इसे महसूस करें और इसकी कद्र करें. जय हिंद.
भविष्य में सुखों की फसल काटने के लिए वर्तमान में अच्छे कर्मों के बीज बोने पड़ते हैं.
जो आप चाहते हैं उसे अपने भीतर खोजने का प्रयास करें.