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Showing posts from August 10, 2014
आपकी वाणी का आपके कर्मों से मेल आवश्यक है। 
धैर्य और विश्वास से रुकावटें दूर की जा सकती हैं। 
स्वतंत्रता बहुमूल्य है इसकी क़द्र करें।
वन्दे मातरम् सुजलां सुफलाम् मलयजशीतलाम् शस्यशामलाम् मातरम्। शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम् फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम् सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् सुखदां वरदां मातरम्।। १।। वन्दे मातरम्। सप्त-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले, अबला केन मा एत बले । बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदलवारिणीं मातरम्।। २।। वन्दे मातरम्। तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म त्वम् हि प्राणा: शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, हृदये तुमि मा भक्ति, तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि कमलाम् अमलां अतुलाम् सुजलां सुफलाम् मातरम्।। ४।। वन्दे मातरम्। श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम् धरणीं भरणीं मातरम्।। ५।। वन्दे मातरम्।। " Mother, I salute thee! Rich with thy hurrying streams, bright with orchard gleams, Cool with thy winds of delight, Dark fields waving Mother of might, Mother free. Glory of moonlight dreams, Over thy branches and lordly streams, Clad in thy blossoming trees, Mother, giver of ease
सदैव सकारात्मक रहें तभी सदैव प्रसन्न रहेंगे।
छोटे छोटे कदम मीलों का सफर तय कर सकते हैं।