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Showing posts from 2014
आरम्भ अपने साथ उत्साह , उमंग , उम्मीद लेकर आता है।  इसका स्वागत करें। 

नववर्ष

समय की गति अबाध है। इसका न कोई आदि है न अंत। यह निर्लिप्त है। किंतु मनुष्य समय को भी सीमा में बाँध कर देखता है। एक क्षण ,घंटा ,दिन ,वर्ष। इस आधार पर एक वर्ष समाप्त हो रहा है और दूसरा आरम्भ। इस बीते हुए वर्ष का विश्लेषण किया जाएगा। इसे अच्छे और बुरे समय में बांटा जायेगा। कभी व्यक्तिगत आधार पर तो कभी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं के आधार पर। किंतु समय अबाध गति से आगे बढ़ता रहेगा। मनुष्य का एक और गुण है। वह उम्मीद पर जीता है। अतः इस उम्मीद से कि यह वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो आप सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं।
हर अंत एक नए आरंभ को जन्म देता है। 
धीरज बिना फल की फ़िक्र के अपना काम करना है। 
उम्मीद सबसे बड़ी प्रेरणा है। 
कर्म करने से ही सफलता मिलती है। 
निर्भय बनो।  भय प्रगति का बाधक है। 
जब खोजोगे तब ही पाओगे। 
किसी काम को शुरू करते समय अपने आप को विश्वास दिलाएं कि जो भी कठिनाइयां आएंगी उन्हें आप पार कर सकते हैं।  इससे आप को ताक़त मिलेगी। 
ख़ुशी का पल मुट्ठी में बंद रेत की तरह है जितना इसे पकड़ने का प्रयास करो उतना ही हाथ से फिसल जाता है। इसे पकड़े नहीं इसका आनंद लें। 
 आस्था परम सत्य पर पूर्ण विश्वास है। 
आगे बढ़ते रहें। अंधेरी सुरंग के अंत में प्रकाश अवश्य दिखेगा। 
हमारे प्रयास जब सही दिशा में हों तभी सफल होते हैं। 
रचनात्मकता हमें एक सुखद अनुभव से समृद्ध करती है। 
दूसरों को ख़ुशी देने से ही खुद को ख़ुशी मिलती है। 
यदि आप समय व्यर्थ न कर उसका सदुपयोग करते हैं तो प्रसन्न रहते हैं। 
आस्था जब दृढ़ हो तो मज़बूती देती है। 
आगे बढ़ने के लिए हमें अपनी वर्तमान स्तिथि को भविष्य के सुपुर्द करना पड़ता। 
आस्था कठिन समय में बल देती है। 
आशा उत्साहवर्धनी है। 
आपका आत्मविश्वास आपके व्यक्तित्व को निखरता है। 
आपका कार्यक्षेत्र चाहें छोटा ही क्यों न हो किन्तु अकर्म में लिप्त न हों। 
ईश्वर को अपने आस पास अनुभव करें। 
जो तूफानों में हिम्मत नहीं हारते वे पेंड़ खड़े रहते हैं। 
जीवन का उद्देश्य प्रगति है।  इसे व्यर्थ न करें। 
आपका विश्वास ही सफलता प्रदान करता है। 
मानव चरित्र के कई आयाम हैं। इसे समझ पाना कठिन है। 
ज्ञान प्राप्त करने की पिपासा सदैव जीवित रखें। 
ईश्वर हमारे ह्रदय में विद्यमान है। स्वयं को अकेला न समझें। 
जीवन की सुंदरता उसके विभिन्न रंगों से है। उसे एक रंग में रंगने का प्रयास न करें। 
जब ढूंढोगे तब ही पाओगे। 
जीवन अमूल्य है। यह हमारे ऊपर है कि हम उसे कितना आदर देते हैं। 
आने वाले पल में क्या छिपा है यह कोई नहीं जानता। यही अनिश्चितता जीवन को चुनौतीपूर्ण बनाती है। 
कठिनाइयों पर विजय केवल आत्मबल से मिलती है। 
प्रार्थना, धैर्य और सतत प्रयास मुसीबतों से उबरने में सहायता करते हैं।
जब आप अनिर्णय की स्तिथि में हों तो ईश्वर की शरण गहें। 
सफलता मिलने के बाद उन लोगों को याद करें जो आपके इस सफ़र में सहायक रहे हों। ईश्वर के प्रति अपना आभार व्यक्त करें। 
मस्तिष्क जो ग्रहण करता है वो सब मिलकर ही हमारा व्यक्तित्व बनता है। सकारात्मक बनें। 
छोटे छोटे कदम मीलों का सफर तय करते हैं, छोटे छोटे प्रयास बड़ी सफलता को जन्म देते हैं। छोटा भी बड़ा बन सकता है। 
जीवन में सफलता स्वयं के प्रयास से ही मिलती है। 
समय की गति अविरल है। यह हमें हर परिस्तिथि में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। 
यदि आप निराश ना हों तो असफलता महान सफलता की नीव बन सकती है। 
यदि आप हिम्मत न हारें तो आपके पास सदैव जीतने की उम्मीद है। 
सुख दुःख इन दोनों के बीच सामंजस्य बैठाना ही सफल जीवन का लक्षण है। 
आशा में अपार शक्ति निहित है। 
आस्था से आशा को बल मिलता है। 
समर्पण का अर्थ निष्क्रियता नहीं वरन बिना शिकायत के हर परिस्तिथि का सामना करना है।
समर्पण का अर्थ निष्क्रियता नहीं वरन बिना शिकायत के हर परिस्तिथि का सामना करना है। बहुधा लोगों को भ्रम होता है कि सब कुछ ईश्वर पर छोड़ कर नियत कर्म का त्याग ही समर्पण है। किंतु स्वयं भगवान ने श्रीमद् गीता में कहा है कि मनुष्य को किसी भी परिस्तिथि में अपने नियत कर्म नहीं त्यागने चाहिए। अतः फल को प्रभु कि इच्छा पर छोड़ कर कर्म करें। जीवन यात्रा का लक्ष्य स्वयं कि पहचान करना है। सभी प्राणियों में केवल मनुष्य को ही आत्मचिंतन कि शक्ति प्राप्त है। इस जीवन का उद्देश्य महज आहार, मैथुन, निद्रा एवं आत्मरक्षा ही नहीं। ये चरों गुण तो अन्य योनियों में भी पाये जाते हैं। आप के जीवन का लक्ष्य तो आत्म उन्नति के पथ पर चलना है।  आपके भीतर कि समस्त ऊर्जा का स्रोत आपकी आत्मा है। आत्मा अविनाशी है। किसी भी प्रकार से इसे नष्ट नहीं किआ जा सकता है। यह ऊर्जा का पुंज है। इसकी शक्ति कि कोई सीमा नहीं। यही हमारा वास्तविक स्वरुप है। आवश्यकता है इसे पहचानने की। जिन्होंने इस वास्तविक स्वरुप को जान लिया वो आत्म उन्नति के शिखर तक पहुंचे। अतः इस ऊर्जा का सकारात्मक प्रयोग करें। 
जब निराशा का अँधेरा घिर आये तो आस्था का दीप जलाएं।  
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दीपावली की हार्दिक बधाई इन पंक्तियों के साथ  आओ मिलकर करें हम सब दीप प्रज्वलित ज्ञान का ,                              सत्य अहिंसा प्रेम और नारी के सम्मान का।  कर दें रौशन कोना कोना रहे न अब अँधियारा,                              सबसे आगे पहुँ च जाय अब अपना देश प्यारा।   
प्रार्थना की डोर हमें ईश्वर से जोड़ती है। 
कल की चिंता आज को भी बर्बाद कर देती है। 
आशावान व्यक्ति विकत परिस्तिथियों में भी आगे की सोंचता है। 
प्रकृति में इतनी विभिन्नता है। अनेक प्रकार के जीव जंतु, पशु पक्षी, फल फूल। किन्तु इस विभिन्नता के पीछे क्या है? इन सभी  विभिन्न रूपों में  एक ही तत्व  विद्यमान है, 'ईश्वर'। स्वयं श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता में कहा है कि ' मैं ही विभिन्न रूपों में वास करता हूँ। इस सम्पूर्ण जगत का बीज प्रदान करने वाला पिता मैं ही हूँ।' अतः विभिन्नता में बसे उस एक तत्व को पहचानिये। 
शांति के लिए हम दर दर भटकते हैं। कई उपाय करते हैं किन्तु शांति हमारे भीतर है। आवश्यता उसे अनुभव करने की है।  मन का भटकाव ही इसका कारण है। जब मन भटकना बंद कर देता है तब शांति अनुभव होती है।
जो ईश्वर ने दिया है उसका सम्मान करें। 
जब आप स्वयं को पूर्णतया किसी मकसद के सुपुर्द कर देते हैं तो सफल अवश्य होते हैं। 
जो भी करें पूरे आत्मविश्वास से करें। 
जिस प्रकार सूर्य अपने प्रकाश से चमकता है वैसे ही मनुष्य अपने सामर्थ्य  से ही आगे बढ़ता है। 
यदि आप विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं तो सफल होते हैं। 
विचारों की असहमति सोंच की धारा को बनाये रखती है। 
धैर्य से आगे बढ़ने वाले मंज़िल अवश्य पाते हैं।
जीवन हमारी क्षमता की कसौटी है। 
प्रेरणा सबसे अच्छा काम करने को प्रोत्साहित करती है। 
अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहने वाला ही विजई होता है। 
जब सूर्य निकलता है तो प्रकाश फैलाता है उसी प्रकार जब कोई सकारात्मक सोंच वाला व्यक्ति आता है तो आशा का संचार करता है। 
अच्छी सोंच ही अच्छा महसूस कराती है। 
गल्तियां करना बुरा नहीं किन्तु उनसे सबक न लेना गलत है। 
कठिन समय भी स्थाई नहीं है अतः धैर्य और साहस बनाये रखें। 
जीवन में बदलाव लाने के लिए सोंच बदलाव आवश्यक है। 
खुश रहना या दुखी होना हमारे चुनाव पर निर्भर है। 
आत्मविश्वास आपको आकर्षक बनाता है। 
ख़ुशी दिल से निकलती है और होंटों पर खेलती है। 
जो अँधेरे में भी उँजाले तलाश लेता है वह कभी नहीं हारता। 
जब आप का हौंसला बुलंद हो तो कठिनाईयां भी हार मान लेती हैं। 
उपासना कुछ मांगने के लिए नहीं वरन ईश्वर ने जो कुछ दिया है उसके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए होनी चाहिए। 
ईमानदारी और सत्य एक सौहार्दपूर्ण एवं भरोसे का वातावरण रचते हैं। 
परम सत्य का ज्ञान अपने भीतर ही होता है। 
जब आप कठिन परिस्तिथियों में फंसे हों तो ईश्वर पर भरोसा कर अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रयास करें। 
लक्ष्य पर दृष्टि और कड़ी मेहनत सफलता का सार हैं। 
दृढ़ता और अदम्य साहस एक सफल व्यक्ति के विशेष गुण हैं। 
बिना आस्था के कुछ संभव नहीं। 
सुखी जीवन के लिए आत्मविश्वास बहुत आवश्यक है। 
हमारे विचार हमारे उद्देश्य को प्रभावित करते हैं अतः विचार शुद्ध रखें। 
जब आप दूसरों के बारे में सोंचते हैं तब आप अधिक संतुष्ट होते हैं। 
जीवन में उतार चढाव आते रहते हैं किंतु जो हार नहीं मानता वही सफल होता है। 
हर पतझड़ के बाद बहार अवश्य आती है। 
विश्वास के साथ की गई शुरुआत ही सफल अंत तक पहुंचती है। 
जो सदैव भूमि की ओर देखता है वह कभी तारे नहीं देख पाता है। 
असफलता  नहीं वरन भय आपको आगे बढ़ने से रोकता है। 
मंजिल हांसिल करने के लिए हौंसला बुलंद करना होता है। 
नौका किनारे पर अधिक सुरक्षित होती है किंतु लहरों के सीने को चीरना ही उसका कार्य है। 
स्वप्न जो रातों को जगाते हैं वास्तविक स्वप्न हैं।  
हर परिस्तिथि में उम्मीद रखने वाला ही जीत हांसिल करता है। 
सत्य कड़वा होता है किंतु हितकारी होता है। 
सबसे मूल्यवान है आपका स्वयं पर विश्वास। 
आपकी इच्छाशक्ति ही आपको आगे बढ़ाती है।
धैर्य कठिन समय में मनुष्य का सच्चा साथी है। 
यदि मनुष्य चाहे तो चींटी से भी प्रेरणा ले सकता है। 
आपद काल में आपकी सही पहचान होती है। 
सादगी में एक आकर्षण है। उसे सराहें। 
जो दूसरों में अच्छाई देखता है वह स्वयं अच्छा महसूस करता है। 
जैसी सोंच वैसा काम।  अतः सोंच ऊंची रखें। 
सदैव उजले पक्ष को देखो इससे हौंसला मिलता है। 
ईश्वर की इच्छा के सामने नतमस्तक रहें। जो हो रहा है उसमें कोई संदेश है उसे पहचानें। 
आपका व्यवहार दूसरों के प्रति सामंजस्यपूर्ण रहे। आप भी बेहतर महसूस करेंगे।
मनुष्य में यदि आगे बढ़ने  की प्यास हो तो वह अपने गंतव्य तक पहुँच ही जाता है।  
प्रार्थना वह शक्ति है जो कठिन समय में बल प्रदान करती है। 
प्रत्येक कार्य अपने सामर्थ्य के अनुसार मन लगा कर करें। परिणाम भी अच्छा होगा।
ईश्वर के शरणागत हो अपना कर्म निश्चिन्त होकर करें।
धैर्य और साहस आपको परिणाम अवश्य देते हैं। 
आपकी वाणी का आपके कर्मों से मेल आवश्यक है। 
धैर्य और विश्वास से रुकावटें दूर की जा सकती हैं। 
स्वतंत्रता बहुमूल्य है इसकी क़द्र करें।
वन्दे मातरम् सुजलां सुफलाम् मलयजशीतलाम् शस्यशामलाम् मातरम्। शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम् फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम् सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् सुखदां वरदां मातरम्।। १।। वन्दे मातरम्। सप्त-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले, अबला केन मा एत बले । बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदलवारिणीं मातरम्।। २।। वन्दे मातरम्। तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म त्वम् हि प्राणा: शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, हृदये तुमि मा भक्ति, तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि कमलाम् अमलां अतुलाम् सुजलां सुफलाम् मातरम्।। ४।। वन्दे मातरम्। श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम् धरणीं भरणीं मातरम्।। ५।। वन्दे मातरम्।। " Mother, I salute thee! Rich with thy hurrying streams, bright with orchard gleams, Cool with thy winds of delight, Dark fields waving Mother of might, Mother free. Glory of moonlight dreams, Over thy branches and lordly streams, Clad in thy blossoming trees, Mother, giver of ease
सदैव सकारात्मक रहें तभी सदैव प्रसन्न रहेंगे।
छोटे छोटे कदम मीलों का सफर तय कर सकते हैं।
प्रेम से पवित्रता आती है और पवित्रता सुख देती है। 
सोंच कर बोलें। आपके द्वारा बोले गए शब्द आपके व्यक्तित्व पर प्रभाव डालते हैं।
श्रवण से अधिक ज्ञान मिलता है। अच्छे श्रोता बनें।
दूसरों को विजित करने से पूर्व स्वयं को जीतें।
कठिनाईयों का डट कर मुकाबला करो और जीवन की छोटी छोटी बातों का आनंद लो।
सदैव अपना ज्ञानवर्धन करें और समयानुकूल स्वयं में आवश्यक परिवर्तन करें।
ठहराव  नहीं बहाव ज़िंदगी है। 
'आत्मविश्वास' सबसे बड़ा खजाना है। 
दूसरों में दोष ढूढ़ने से हमारा विकास नहीं होता।
जीवन में कभी बसंत तो कभी पतझड़ आते हैं। यह सदैव एक सा नहीं रहता।
अंत तक प्रयास न छोड़ना ही सफलता का मंत्र है। 
सूर्यास्त एक नए सूर्योदय का संकेत होता है।  
हमारी तपस्या और धैर्य का फल ईश्वर अवश्य देते हैं। 
वर्तमान मध्य बिंदु है। इसके पहले भूत काल और आगे आपका भविष्य है। भविष्य निर्माण हेतु वर्तमान ही कर्म क्षेत्र है। 
बड़ा सोंचने वाले ही महान कार्य करते हैं। 
उदारता ह्रदय को अपार हर्ष देती है। 
कठिनाइयां केवल आपके प्रयास से ही दूर हो सकती हैं। 
दर्द और ख़ुशी जो दूसरों के लिए महसूस हो अच्छे होते हैं। 
अवसर को जाने न दें। सही अवसर मुश्किल से आते हैं। 
विकास जीवन का लक्षण है। 
उम्मीद का दामन अंत तक न छोड़ें।
अच्छाई हमारे भीतर समाहित है। सिर्फ स्वयं को उस से जोड़ने की ज़रुरत है। 
आत्म विश्वास के बिना कुछ संभव नहीं।
विफलताओं से न घबराने वाला ही सफल होता है। 
अपना कर्म सही रखें तो सब सही होगा।
जब आप पूर्ण निश्चय के साथ आगे बढ़ते हैं तो रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। 
जब तक आशा है जीतने का अवसर है। 
समय की गति अबाध है उसका सदुपयोग करें। 
आपके अनुभव अच्छे शिक्षक हैं। उनसे सीखें।
आत्मविश्वास से बड़ी कोई दौलत नहीं।
कठिन समय में धैर्य और दृढ़ता ही नैया पार लगाते हैं। 
जीवन की अनिश्चितता ही उसे मोहक बनाती हैं। 
जीवन में जो भी अच्छा कर सकें करें।
स्वयं को ईश्वर को सौंप कर अपना कर्म करो। 
साहस कठिन समय में  आपका  सहायक होता है। 
विश्वास की डोर रिश्तों को मज़बूती से बांधती है। 
आस्था शांति देती है। 
नकारात्मकता पीछे की ओर ले जाती है जबकी सकारात्मकता आगे बढ़ाती है। 
आस्था और भय एक साथ नहीं रह सकते।
उम्मीद कठिन समय का खज़ाना हैं। 
संकल्प से ही परिणाम निकलते हैं। 
शब्दों में शक्ति होती है। सोंच समझकर प्रयोग करें।
अवसर को जाने न दें। उसे पहचान कर उसका उपयोग करें।
प्रोत्साहन आगे बढ़ने में सहायक होता है। किसी को भी निरुत्साहित न करें।
आलोचना हमें हमारी कमियों से अवग़त कराती हैं। 
आशा की मशाल कठिन समय में रास्ता दिखाती है। 
आशावान व्यक्ति सदैव प्रसन्न रहता है। 
कठिन परिश्रम ही सफलता प्रदान करता है। 
ईश्वर पर आस्था क्यों आवश्यक है? अक्सर यह प्रश्न मन में उठता है। आस्तिकता और नास्तिकता में क्या अंतर है।  ईश्वर में आस्था आवश्यकता नहीं वरन हमारा अन्तर्निहित गुण है। आस्था बाहर से आरोपित वस्तु नहीं है वरन हमारा स्वभाव है। स्वयं के होने का यकीन भी आस्था है। आस्था दृढ विश्वास का नाम है।  तो फिर यह विश्वास ईश्वर पर क्यों? स्वयं पर ही क्यों नहीं? यह प्रश्न तभी उठता है जब हम ईश्वर को एक बाहरी सत्ता मान कर चलते हैं। किन्तु ईश्वर कोई बाहरी सत्ता नहीं है। ईश्वर तो हमारा अभिन्न अंग है। हम ईश्वर का ही अंश हैं। हमारे अस्तित्व का आधार ईश्वर ही है। अतः ईश्वर पर आस्था आवश्यक है। उससे मुह मोड़ना मतलब स्वयं से मुह मोड़ना। आस्तिकता यह जानना है की ईश्वर ही हमारा सर्वस्व है। इस बात का अज्ञान नास्तिकता है। 
फूलों की सुगंध जैसे छिपती नहीं वैसे ही आपके भीतर की अच्छाई स्वयं बाहर आ जाती है। 
ख़ुशी को महसूस करें उसे पकड़ने का प्रयास न करें।
सकारात्मक विचार कठिन समय में बल देते हैं। 
उतार चढाव जीवन का हिस्सा हैं। दोनों परस्तिथियों में संतुलन बनाये रखें।
छोटे छोटे प्रयास ही सफलता के आधार बनते हैं। 
केवल संकल्पवान ही विजयी होता है।
उम्मीद असंभव को भी संभव कर सकती है। 
अज्ञानता विकास में सबसे बड़ी बाधा है। 
जब आप इस विश्वास  कि ' हाँ मैं कर सकता हूँ ' आगे बढ़ते हैं तो अवश्य सफल होते हैं। 
जो आपकी क्षमता में हो करें। परिणाम की चिंता न करें।
कमी हमें वस्तुओं का सही प्रयोग सिखाती है। 
छोटे छोटे कदम ही हमें मंज़िल तक ले जाते हैं। 
जीवन आपको क्या देता है से अधिक महत्वपूर्ण है आप जीवन को क्या देते हैं। 
जीवन में उतार चढ़ाव से मत डरें।  साहस के  साथ डटे रहें।
आस्था  आत्मविश्वास को दृढ करती है। 
हर वस्तु का अपना उपयोग है। उसी के अनुसार प्रयोग करें।
अपना काम सही तरह से करें बाकी सब ठीक हो जाएगा।
कल की चिंता न करें। आज सही कदम उठाएं।
छोटी छोटी वस्तुएं बड़ा सुख देती हैं। 
अपनी शक्ति को पहचान कर उसका सदुपयोग करें।
डा. फादर कामिल बुल्के    बेल्जियम  से  भारत  आकर मृत्युपर्यंत  हिंदी ,  तुलसी  और  वाल्मीकि  के भक्त रहे । उन्हें  साहित्य एवं शिक्षा  के क्षेत्र में  भारत सरकार  द्वारा सन  १९७४  में  पद्म भूषण  से सम्मानित किया गया था।  नवंबर १९३५ में भारत, बंबई पहुंचे। वहां से  रांची   आ गए। गुमला जिले के इग्नासियुस स्कूल में गणित के अध्यापक बने। वहीं पर हिंदी,   ब्रज   व   अवधी   सीखी. १९३८ में, सीतागढ/हजारीबाग में पंडित बदरीदत्त शास्त्री से हिंदी और   संस्कृत   सीखा। १९४० में   हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग   से विशारद की परीक्षा पास की। १९४१ में पुरोहिताभिषेक हुआ, फादर बन गए. १९४५   कलकत्ता विश्वविद्यालय से हिंदी व संस्कृत में बीए पास किया। १९४७ में   इलाहाबाद विश्वविद्यालय   से एमए किया। [1] रामकथा:  १९४९ में डी. फिल उपाधि के लिये इलाहाबाद में ही उनके शोध  रामकथा : उत्पत्ति और विकास  को स्वीकृति मिली. १९५० में पुनः रांची आ गए।  संत जेवियर्स महाविद्यालय  में हिंदी व संस्कृत का विभागाध्यक्ष बनाया गया। सन् 1950 ई. में ही बुल्के ने भारत की नागरिकता ग्रहण की. इसी वर्ष वे  बिहार राष्ट्रभाषा परिष
साधन नहीं इच्छा शक्ति सफलता दिलाती है। 
उत्तम विचार ही उत्तम कार्यों को जन्म देते हैं। 
कर्मठ बनें। अकर्मण्यता से प्रगति नहीं होती है। 
जीवन अमूल्य है। इसे व्यर्थ न जाने दें। 
बिना चुनौतियों का सामना किये कोई सफल नहीं होता है। 
गुरु मार्ग दिखाता है। उस पर चलना आपका काम है। 
नए विचारों को आने दें। उनका विश्लेषण करें। यदि वह आपकी प्रगति में सहायक हों तो उन्हें अपनाएं।
जीत के लिए आपको ही प्रयास करना पड़ता है। 
आवश्यकता से अधिक व्याख्या जिज्ञासा को समाप्त कर देता है। 
जीवन यात्रा का लक्ष्य सत्य तक पहुँचाना है।  हम निम्न सत्य से उच्च सत्य तक पहुंचते हैं। 
विभिन्नता से घबराएं नहीं। इसमें जीवन का माधुर्य है। 
जब तक आप में आगे बढ़ने की चाह नहीं होगी कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता है। 
नई सोंच जो आगे ले जाये उसे बेझिझक अपनायें।
सत्य स्वप्रकाशित होता है। उसे स्थापित नहीं वरन अनुभव किया जाता है। 
सत्य का अनुभव स्वयं के प्रयास से ही होता है। 
सत्य को प्रमाण की ज़रुरत नहीं होती।
परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता।
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विश्व के सबसे बड़े जनतंत्र की सफलता पर देशवासियों को बधाई। हमने एक बार फिर साबित किया कि विविधताओं से भरे इस देश में प्रजातंत्र को सफलतापूर्वक चलाया जा सकता है।  अपनी आस्था, विश्वास, सपनों, इच्छाओं को ध्यान रखते हुए हमने वोट दिया और एक सुढ़ृड और स्थिर सरकार की नीव रखी। उम्मीद है हमें निराश नहीं होना पड़ेगा।
आत्मविश्वास सफलता की सीढ़ी है। 
मनुष्य के मष्तिष्क की शक्ति अपार है।  
सकारात्मकता शक्ति देती है। 
'हिम्मत न हारना' समस्याओं से लड़ने का उपाय है। 
  संकट के समय आपके किरदार की परीक्षा होती है। 
जीवन में हम कई रिश्तों से घीरे होते हैं।  जिनके बीच रह कर हम सुख दुःख का  अनुभव करते हैं।  मनुष्य ही नहीं वरन हम पशु पक्षियों पेड़ पौधे सभी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। क्यों हम दूसरों के साथ संबंध बनाने के इच्छुक हैं। इन संबंधों के ज़रिये हम उस परम शक्ति को खोजने प्रायास कारते हैं। ईश्वर परमात्मा स्वरुप हर जीव में वास करते हैं। यही कारण है कि हम उस परम शक्ति को खोजते हुए इन संबंधों में बंध जाते हैं। किंतु हम इस आत्मिक आकर्षण को पहचान नहीं पाते। अतः संबंधों को भौतिक धरातल पर है सवीकार करते हैं। यही कारण है कि हम मोह, माया, स्वार्थ, वैमनस्य के भावों से बंधे रहते हैं और कभी सुख  तो कभी दुःख भोगते हैं। ईश्वर हमारे जीवन की आधारशिला है। जब हम सारे संबंधों का आधार उन्हें मान कर आगे बढ़ेंगे तो मोह, माया, स्वार्थ, वैमनस्य से दूर रहेंगे।
अपेक्षा नहीं स्वीकारने का नाम जीवन हैं। 
'माँ' निस्वार्थ प्रेम की प्रतीक है। 
किसी भी परिस्तिथि में उम्मीद न छोड़ें।
यदि आप में कुछ करने का उत्साह है तो कोई आपको नहीं रोक सकता है। 
साधारण वस्तुएं असाधारण ख़ुशी देती हैं। 
स्वयं की शक्ति को पहचान कर आगे बढ़ना ही जीवन का लक्ष्य है। 
हर वस्तु की अपनी उपयोगिता है अतः किसी भी वस्तु बेकार न समझें।
विपरीत परिस्तिथियों में हार न मानने वाला हि विजई होता है। 
सदियों से हर संस्कृति में सुंदरता के अलग अलग मानदंड हैं किन्तु सुंदरता भीतर से आती है यह सार्वभौमिक सत्य  हैं। 
ध्वंस के लिए आक्रोश का एक पल ही बहुत हैं किंतु सृजन हेतु  साहस धैर्य और सहनशक्ति की अवश्यकता होती है। 
ज्ञान के प्रकाश से ही अज्ञान का अँधेरा मिटता है। 
कर्म के बिना फल नहीं मिलता है। 
कर्तव्य पहले फिर अधिकार।
आस्था वह आधार है जिस पर साब कुछ आधारित हैं। 
दृढ़ता सफलता की तरफ ले जाती है। 
आपका लक्ष्य के प्रति जोश ही उसे पाने में आपकी मदद करता है। 
स्वयं के प्रयास से ही सत्य प्रकट होता है। 
किसी वस्तु की कमी होने पर उसकी उपयोगिता पता चलती है। 
विश्वास हो तो असंभव भी संभव है। 
प्रकाश जिस प्रकार अँधेरे को दूर कर देता है वैसे ही ज्ञान शंकाओं को हर लेता है। 
जैसा सोचोगे वैसा ही अनुभव करोगे।
बिना विश्वास के कुछ संभव नहीं।
अच्छे विचार मन को शुद्ध करते हैं और आप में उत्साह भरते हैं। 
बदलाव लेन हेतु स्वयं को बदलना ज़रूरी है। 
चहरे की मुस्कान आपको प्रसन्न करने के साथ साथ दूसरों को भी प्रसन्न करती है।