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Showing posts from February 23, 2014
जो आपके पास है उसे ईश्वर का आशीष मान कर प्रसन्न रहें।
आपके भीतर कि समस्त ऊर्जा का स्रोत आपकी आत्मा है। इस ऊर्जा का सकारात्मक प्रयोग करें।
अपना काम पूर्ण प्रसन्नता और उत्साह से करें।
हमारे विचार जब कर्म में परिवर्तित होते हैं तभी सफलता मिलती है। 
यदि हम आनंद लें तो छोटी छोटी वस्तुएं हमें अधिक प्रसन्नता देती हैं। 
जीवन बहती नदी है। अतः हर परिस्तिथि में आगे बढ़ें।
भले ही धीरे चलें किंतु एक निष्क्रिय न बनें।