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Showing posts from November 27, 2011
आप स्वयं ही अपनी तकलीफों और खुशियों के लिए जिम्मेदार हैं.
अपनी कमियों पर विजय पाने का सबसे अच्छा रास्ता है  अपनी सामर्थ्य को खोजना.
यदि हम बिना हतोत्साहित हुए देखें तो बाधाओं के पार अवसर प्राप्त होंगे.
एक मूर्तिकार की भांति ईश्वर हमें कठिनाईयों के हथौड़े और पीड़ा की छेनी से तराशता है.यदि हम उसके आघात को सह सकतें हैं तो हमारा जीवन एक सुंदर मूर्ति का रूप लेगा.
जो दर्द का सामना करता है वही बिना टूटे इसे सह सकता है न कि वह जो दर्द से बचना  चाहता है.
आशा और आस्था जीवन के तराजू के दो पलड़े हैं जो उसे संतुलित करते हैं.
जिस व्यक्ति के पास आशा है कि अंधियारी रात के बाद भोर होगा वह बिना भय के उस अँधेरे में जी सकता है किन्तु जिसके पास आशा नहीं उसे जगमग प्रकाश भी उदास कर देता है.आशा से बड़ी कोई दौलत नहीं है.