एक मूर्तिकार की भांति ईश्वर हमें कठिनाईयों के हथौड़े और पीड़ा की छेनी से तराशता है.यदि हम उसके आघात को सह सकतें हैं तो हमारा जीवन एक सुंदर मूर्ति का रूप लेगा.
जिस व्यक्ति के पास आशा है कि अंधियारी रात के बाद भोर होगा वह बिना भय के उस अँधेरे में जी सकता है किन्तु जिसके पास आशा नहीं उसे जगमग प्रकाश भी उदास कर देता है.आशा से बड़ी कोई दौलत नहीं है.