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Showing posts from March 16, 2014
विचारों का आपके मन पर प्रभाव पड़ता है। अतः इन्हें शुद्ध रखें।
केंद्र से विचलित होने पर संतुलन बिगड़ जाता है। इस संतुलन को पाने के लिए हम केंद्र ईश्वर की तरफ बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। 
एक ही तत्व से सम्पूर्ण विश्व उपजा है और उसी तत्व में मिल जाएगा। इस तत्व को जानना ही हमारा उद्देश्य है। 
सुख दुःख, अच्छाई बुराई इत्यादि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों को ही स्वीकार करें।
विविधता में एकता प्रकृति कि योजना है। 
तुम दिव्य आत्मा हो।  इसे अनुभव करो। 
रंग जब बिखरते हैं तो सुंदर इन्द्र्धनुष बन जाता है और जब एक हो जाते हैं तो स्निग्ध धवल हो जाते हैं।