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Showing posts from April 29, 2012
जो भी प्रभु ने आपको दिया है ख़ुशी से स्वीकार करें और उसके लिए आभार प्रकट करें. जो नहीं मिला उसके लिए अफ़सोस न करें .
चिंता न करें आप अकेले नहीं हैं अपने सब दुखों, चिंताओं के साथ स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित कर दें.
चाहें कितनी भी कठिन परिस्तिथि क्यों न हो दो चीज़ें कभी नहीं छोड़नी चाहिए, धैर्य और सतत प्रयास.
प्रभु हर दौर में हमारे साथ हैं. ब्रह्मा के रूप में सृजन करते  हैं  , विष्णु के रूप में पालते हैं और महेश के रूप में संहार करते हैं . जन्म से मृत्यु तक वह  हमारे साथ हैं .
आप स्वयं ही अपने चरित्र के निर्माता हैं. जो भी आप करते हैं या सोंचते हैं.आपके अवचेतन मन में अंकित हो जाता है. यह ही आपकी आदत बन जाता है जो आपके चरित्र का हिस्सा बन जाता है . अतः अच्छी आदतें डालें.
ईश्वर इस सृष्टि के कण कण में है. सूर्य, चन्द्र और तारों की रौशनी में ईश्वर है, माटी की सोंधी महक में ईश्वर है, ध्वनि में "ॐ" रूप में ईश्वर है. सभी प्राणियों के  प्राण ईश्वर ही है. माया के भ्रम के कारण हम ईश्वर को पहचान नहीं पाते हैं. माया के परदे को हटा कर ही सर्वव्यापी ईश्वर के दर्शन होंगे.
जो व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन बनाकर चलता है वह सुखी रहता है.
हर व्यक्ति आनंद की खोज में है. वह नाशवान वस्तुओं में उसे खोजता है किन्तु निराशा ही हाथ आती है. वास्तविक प्रसन्नता तो अपने भीतर ही होती है.