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Showing posts from April 8, 2012
जो स्वयं को पूर्णतया ईश्वर को समर्पित करके अपना मन ईश्वर में रमा लेता है वह कठिनाईयों में भी चट्टान की भांति अडिग रहता है.
जिस प्रकार एक शिशु पूर्ण विश्वास के साथ अपनी माँ पर आश्रित होता है उसी प्रकार स्वयं को पूर्ण भक्ति के साथ ईश्वर के समक्ष समर्पित कर दें.
केवल दृढ़ आस्था ही ईश्वर प्राप्ति  में सहायक है.
ईश्वर ही इस ब्रह्माण्ड को चारों तरफ से घेरे है, वही पूरी सृष्टि में व्याप्त है, वही पुरे ब्रह्माण्ड में प्रविष्ट है. ईश्वर के अतिरिक्त यहाँ कुछ नहीं है.
जिस प्रकार लहरें सागर में उठती हैं कुछ देर ठरती हैं और सागर में विलीन हो जाती हैं उसी प्रकार यह संसार ईश्वर से जन्म लेता है ईश्वर  में आश्रित रहता है और अन्त में ईश्वर में लीन हो जाता है.
केवल निर्भय और दृढ़ संकल्प का व्यक्ति ही सच्ची आस्था विकसित कर सकता है.