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Showing posts from October 30, 2011
जिस प्रकार उजाले के सामने अँधेरा नहीं ठहरता उसी प्रकार उम्मीद के सामने हताशा हार जाती है.
वर्तमान न तो भूत काल पर आंसू बहाने के लिए है न ही भविष्य की चिंता करने के लिए.यह तो केवल जीने और काम करने के लिए है.
हम उन चीज़ों पर अधिक ध्यान देते हैं जो मौजूद नहीं हैं पर हमारे पास जो कुछ है उस पर कम ध्यान देते हैं.
जब आप मुस्कुराते हैं तो यह न केवल आपके आकर्षण को बढ़ाता है बल्कि आप अधिक आत्मविश्वासी लगते हैं.
यदि आप विपरीत परिस्तिथियों में मुस्कुरा सकते हैं तो आप उनसे बाहर आ सकते हैं.
समस्याओं के सामने आत्मसमर्पण न करें.इससे आप तार्किक तरीके से सोंच सकते हैं और समस्या से बाहर आ सकते हैं.
चिंता घुन की तरह हमें अन्दर से खा जाती है.यह हमें इतना कमज़ोर बना देती है की हम आसानी से टूट जाते हैं.चिंतित मनुष्य सकारात्मक रूप से सोंच नहीं पाता है.
महान हस्तियों की नक़ल  नहीं करनी चाहिए.यह विनाशकारी हो सकता है.हमे उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए.