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Showing posts from August 9, 2015
स्वतंत्रता हमें अपने ढंग से जीने की छूट देती है किंतु ज़िम्मेदारियाँ भी सौंपती है। 
काली रात्रि की समाप्ति कर भोर अवश्य होती है। 
स्वयं का अहं बढ़ने ना दें और दूसरों के अहं को चोट ना  पहुंचाएं। 
सारे थोपे हुए चिंन्हों को हटा कर स्वयं की वास्तविकता देख सकते हैं। 
हमारी बनाई हुई छवि के पीछे हमारी वास्तविक छवि होती है। 
सहिष्णुता से शांति आती है।