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Showing posts from March 11, 2012
यदि आप अपने लक्ष्य को पहचानते हैं तो मार्ग में आने वाले विकर्षणों से परेशान न हों. स्वयं को नियंत्रित करें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें.
जहाँ हमारी सारी पीड़ा दुःख खुशियाँ चिंताएं गुण अवगुण मान यश सम्बन्ध संकुचित होकर समाप्त हो जाते हैं और शाश्वत आनंद का एक फव्वारा निकलता है वह बिंदु ही ईश्वर की अनुभूति है.
परेशान ना हो धैर्य रखो घोर निराशा में भी उम्मीद की किरण निकलती है जैसे घने अँधेरे में बिजली कौंधती है.
पूर्ण अनासक्ति तब ही आती है जब हम ईश्वर से पूर्ण रूप से आसक्त होते हैं.
बाहर नहीं अपने भीतर परिवर्तन लायें.
ख़ुशी की तलाश में बाहर भटकना यदि, हम उसे अपने भीतर न पा सकें वैसा ही है जैसे प्यास बुझाने के लिए मृगतृष्णा के पीछे भागना.
जीवन में कभी हम प्रसन्न होते हैं कभी दुखी. यह उतार चढ़ाव तो  जीवन का हिस्सा है. जब हम स्वयं को दुखी महसूस करें तो हमें स्वयं को खुश  करने की कोशिश करनी चाहिए किन्तु किसी भी हालत में स्वयं को अवसाद से बचाना चाहिए.
हताश हो जाना आसान  है किन्तु मुश्किलों से लड़ना कठिन है. जो संघर्ष करता है वही सफल होता है.