जहाँ हमारी सारी पीड़ा दुःख खुशियाँ चिंताएं गुण अवगुण मान यश सम्बन्ध संकुचित होकर समाप्त हो जाते हैं और शाश्वत आनंद का एक फव्वारा निकलता है वह बिंदु ही ईश्वर की अनुभूति है.
जीवन में कभी हम प्रसन्न होते हैं कभी दुखी. यह उतार चढ़ाव तो जीवन का हिस्सा है. जब हम स्वयं को दुखी महसूस करें तो हमें स्वयं को खुश करने की कोशिश करनी चाहिए किन्तु किसी भी हालत में स्वयं को अवसाद से बचाना चाहिए.