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Showing posts from 2011
नया साल नए कैनवास की तरह है जिस पर समय नए रंग भरकर नया चित्र बनाएगा.
टिक-टिक-टिक घड़ी चलती रहती है और इस तरह समय अपनी यात्रा करता है.समय की इस यात्रा में एक पड़ाव आया है जब २०११ समाप्ति पर है और २०१२ कुछ ही समय में आनेवाला है.समय की धारा निरंतर चलती रहती है अतः अब समय है की कुछ अनुभवों और स्मृतियों को लेकर हम आगे बढ़ें.
जीवन के प्रति हमारे दृष्टिकोण में परिवर्तन ही सबसे बड़ा परिवर्तन है.
आस्था पर्वत के समान अचल होनी चाहिए ताकि हालात की आंधियां इसे हिला न सकें.
ध्वंस के लिए क्रोध का एक क्षण ही पर्याप्त है किन्तु सर्जन के लिए बहुत धैर्य और समय  की जरूरत होती है .
खुशियों को बांधने का प्रयास करने पर यह हाथ से फिसल जाएँगी परन्तु दूसरों के साथ बांधने पर बढ़ेंगी.
अन्धकार से मत डरो यह स्वयं प्रकाश से डरता है. अपने जीवन में आस्था की मशाल जलाकर उम्मीद का उजाला करो.
एक निराशावादी व्यक्ति अनुकूल परिस्तिथियों में भी भय में जीता है किन्तु आशावादी व्यक्ति प्रतिकूल परिस्तिथियों का सामना भी निर्भयता से करता है.
जीवन का सदैव मुस्कुरा कर खुले दिल स्वागत करें चाहें यह हमारे कितने इम्तिहान क्यों न ले.
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
यदि हम स्वयं इच्छुक न हों तो कोई भी हमें हमारे दुखों से निजात नहीं दिला सकता है.
ईश्वर के प्रति पूर्ण आस्था से किया गया समर्पण हमें शांति की ओर ले जाता है.
किसी  के प्रति की गयी नेकी न सिर्फ आपको प्रसन्नता प्रदान कराती है अपितु उस व्यक्ति के दिल में आपके लिए सदभावना भी  जगाती है.
जो कुछ भी ईश्वर ने हमें दिया है उसके लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करने से मन शांत होता है किन्तु जो नहीं है उसकी शिकायत करने से मन दुखता है.
आत्म बल शारीरिक बल से अधिक श्रेष्ठ है क्योंकि यह आपको आगे बढाता है चाहें आप शारीरिक तौर पर कमज़ोर हों.
कभी कभी सत्य की खोज के लिए पूरा जीवन भी कम पड़ता है परन्तु कभी सत्य बिजली की भांति कौंध कर स्वयं ही  प्रकट हो जाता  है.
जीवन सीखने और उपलब्धियां हासिल करने की सतत प्रक्रिया है.हमें कुछ न कुछ नया खोजना चाहिए.
कोई भी व्यक्ति क्रोध ,लालच ,वासना,अभिमान और इर्ष्या से परे नहीं है किन्तु बुद्धिमान व्यक्ति यह जनता है की इन पर कब और कैसे विजय पाई जाये.
आपकी कमजोरियां आपकी प्रगति में बाधक नहीं हो सकती यदि आप अपनी  क्षमताओं को पहचान सकें.
ईश्वर एक है क्योंकि परम सत्य के कोई विकल्प नहीं होते.
विभिन्न धर्म ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताते हैं.किन्तु ईश्वर सब धर्मों से ऊपर है.वह समस्त ब्रह्माण्ड का आधार है.
मील के पत्थर यह दिखाते हैं की किसी व्यक्ति की उपलब्धि क्या है किन्तु यह उपलब्धियों की सीमा नहीं है. व्यक्ति को आगे बढ़ना चाहिए.
ईश्वर पर अटूट आस्था रखते हुए जीवन संघर्षों का सामना करने वाले को ही ईश्वर प्राप्त होते हैं न की संघर्षों से पीछा छुड़ाने वाले को.
ईश्वर एक प्रेरक शक्ति है जो हमें विपरीत परिस्तिथियों में भी जीने की प्रेरणा देता है. 
ईश्वर अनंत है फिर हम उसे शब्दों में कैसे समझा सकते हैं जो सीमाओं में बंधे हैं. क्या आप गागर में सागर समां सकते हैं. 
सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती.कोई उसे माने या न माने सत्य सदैव विद्यमान रहता है.ईश्वर परम सत्य है.
ईश्वर हमारे जीवन का केंद्र बिंदु है.यदि हम इस केंद्र से दूर जाते हैं तो हमें कष्ट और पीड़ा मिलती है परन्तु यदि हम केंद्र की तरफ बढ़ते हैं तो हमें सुख और शांति मिलती है .
आप स्वयं ही अपनी तकलीफों और खुशियों के लिए जिम्मेदार हैं.
अपनी कमियों पर विजय पाने का सबसे अच्छा रास्ता है  अपनी सामर्थ्य को खोजना.
यदि हम बिना हतोत्साहित हुए देखें तो बाधाओं के पार अवसर प्राप्त होंगे.
एक मूर्तिकार की भांति ईश्वर हमें कठिनाईयों के हथौड़े और पीड़ा की छेनी से तराशता है.यदि हम उसके आघात को सह सकतें हैं तो हमारा जीवन एक सुंदर मूर्ति का रूप लेगा.
जो दर्द का सामना करता है वही बिना टूटे इसे सह सकता है न कि वह जो दर्द से बचना  चाहता है.
आशा और आस्था जीवन के तराजू के दो पलड़े हैं जो उसे संतुलित करते हैं.
जिस व्यक्ति के पास आशा है कि अंधियारी रात के बाद भोर होगा वह बिना भय के उस अँधेरे में जी सकता है किन्तु जिसके पास आशा नहीं उसे जगमग प्रकाश भी उदास कर देता है.आशा से बड़ी कोई दौलत नहीं है.
आस्था एक  प्रेरणा है जो बिना भय के जीना सिखाती है.
जो बार बार असफल होने पर भी नए सिरे से प्रयास करता है वही सफल होता है.
जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण ही मायने रखता है.जो व्यक्ति गिलास को आधा खाली  मानता है वह जीवन के प्रति उदासीन रहता है किन्तु जो इसे आधा भरा हुआ मानता है वह इसे पूर्ण रूप से जीता है.
दृढ़ निश्चय, कठोर परिश्रम, अडिग आस्था सफलता की नीव हैं.
मजबूत शरीर नहीं मजबूत इरादे हमें सफल बनाते हैं.
हवा के थपेड़े दीपक को बुझाने का प्रयास करते हैं किन्तु जिस दिए में पर्याप्त तेल होता है वह संघर्ष करता है इसी प्रकार कठिनाईयां मनुष्य को तोड़ने का प्रयास करती हैं किन्तु ईश्वर में दृढ़ आस्था रखने वाला मनुष्य उन्हें बिना टूटे झेल लेता है.
सत्य केवल एक ही होता  है उसका कोई विकल्प नहीं है.ईश्वर ही परम सत्य है.
जो काँटों की चुभन से नहीं डरता वही गुलाब की सुगंध लेता है.
यदि डिग जाये तो वह आस्था नहीं है.
यदि जीवन एक युद्ध है तो इसे हमें अपने दम पर लड़ना है, इसे लड़ने का मार्ग स्वयं खोजना है,केवल एक ही हथियार हमारे पास है "हमारा दृढ़ निश्चय".
जीवन में हम बहुत सी यादों से घिरे रहते हैं.कुछ यादें सुखद होती हैं तो कुछ दुखदाई.बुद्धिमानी इसी में है की दुखद यादों को भुला दिया जाये और अच्छी यादों को संजोया जाये.
हमें विपरीत परिस्थितियों में भी ईश्वर के प्रति अपने विश्वास को बनाये रखना चाहिए.यह हमें साहस पूर्वक मुसीबतों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है.
यदि आपको विश्वास है की ईश्वर आप की प्रार्थना का फल देगा तभी वह आप की प्रार्थना सुनेगा.आप की आस्था से बढ़कर कुछ नहीं है.
आज हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन  है.यह दिन बल दिवस के रूप में मनाया जाता है.यह कहते हैं की सभी वयस्कों में एक बच्चा रहता है.हमें प्रयास करना चाहिए की इस बच्चे को सदैव अपने भीतर जीवित रखें ताकि हम अपनी मासूमियत को कायम रख सकें,जीवन को पूर्ण रूप से जी सकें और जी खोल कर हस सकें.
जब आप ईश्वर पर आस्था रखते हैं और यह विश्वास करते हैं की वह हमारे साथ है तो हम बिना भय के जी सकते हैं.यह हमें जीवन के प्रति सकारात्मक बनता है.
प्रेम आप का भला करता है पर नफ़रत आप को अंदर से खोखला कर देती है.
केवल आप का दृढ़ निश्चय ही आपको आप की मंज़िल तक ले जा सकता है.
आज गुरु नानक जयंती है.गुरु नानक देव ने हमें सौहार्द, भाईचारे, प्रेम, करुना, का सन्देश दिया. हमें उनके द्वारा दिखलाये गए मार्ग पर चलना चाहिए.
उम्मीद एक मशाल के समान हमें अंधेरों में राह दिखाती है.
जिस प्रकार सूर्य की उपस्तिथि प्रकाश का पर्याय है उसी प्रकार ईश्वर में आस्था आशा का पर्याय है.
ईद उल ज़ुहा इब्राहीम द्वारा अपने पुत्र इस्माइल को अल्लाह की राह पर कुर्बान किये जाने को राजी हो जाने  की याद में मनाया जाता है.अल्लाह ने उसके पुत्र को कुर्बान होने से रोक दिया.यह हमें सिखाता है कि यदि हम अल्लाह के लिए कुर्बानी देने को तैयार हैं तो वह हमारी मदद ज़रूर करेगा.
जिस प्रकार उजाले के सामने अँधेरा नहीं ठहरता उसी प्रकार उम्मीद के सामने हताशा हार जाती है.
वर्तमान न तो भूत काल पर आंसू बहाने के लिए है न ही भविष्य की चिंता करने के लिए.यह तो केवल जीने और काम करने के लिए है.
हम उन चीज़ों पर अधिक ध्यान देते हैं जो मौजूद नहीं हैं पर हमारे पास जो कुछ है उस पर कम ध्यान देते हैं.
जब आप मुस्कुराते हैं तो यह न केवल आपके आकर्षण को बढ़ाता है बल्कि आप अधिक आत्मविश्वासी लगते हैं.
यदि आप विपरीत परिस्तिथियों में मुस्कुरा सकते हैं तो आप उनसे बाहर आ सकते हैं.
समस्याओं के सामने आत्मसमर्पण न करें.इससे आप तार्किक तरीके से सोंच सकते हैं और समस्या से बाहर आ सकते हैं.
चिंता घुन की तरह हमें अन्दर से खा जाती है.यह हमें इतना कमज़ोर बना देती है की हम आसानी से टूट जाते हैं.चिंतित मनुष्य सकारात्मक रूप से सोंच नहीं पाता है.
महान हस्तियों की नक़ल  नहीं करनी चाहिए.यह विनाशकारी हो सकता है.हमे उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए.
दोस्ती की  भावना बिना धर्म ,जाति,देश,अथवा सामाजिक हैसियत पर विचार किये लोगों को एक सूत्र में बांधती है.यह शुद्ध प्रेम पर आधारित होती है.
प्यार एक ऐसा भाव है जो हर रिश्ते के साथ अपना रूप बदल लेता है . जिस प्रकार प्रकाश की किरण जब प्रिज्म में से होकर गुजराती है तो सात अलग अलग रंगों में विभक्त हो जाती है.
प्रकाश अँधेरे को दूर कर देता है परन्तु  इसके  लिए हमें दिया जलाना पड़ता है. अतः अन्धकार के लिए शोक न करो उसे दूर करने का प्रयास करो.
दीपावली की अमावस सबसे रोशन रात होती है.यह हमें यह सन्देश देती  है की यदि हम चाहें तो जीवन को अन्धकार मुक्त कर सकते हैं.
सफलता और असफलता हमारे जीवन से गहराई से सम्बंधित है. सफलता का अर्थ जीवन की चुनौतियों का डट कर सामना करना है जबकि असफलता उनसे  बचने  का  प्रयास  करना है. 
जीवन एक बहुत अच्छा शिक्षक है. यह कठिनाईयों के द्वारा हमें जीवन को जीने का सही तरीका सिखाता है. अपनी परीक्षाओं से यह हमें मजबूत बनता है. यह हमारे ऊपर है की हम जीवन से कुछ सीखते  हैं या उसकी परीक्षाओं से दूर भागते हैं.
जीवन अलग अलग भेस में हमारे सामने आता है. कभी यह जलाता रेगिस्तान लगता है तो कभी गुलाब के फूलों का बगीचा बन जाता है. जीवन पल पल बदलता है. इसकी यही अनिश्चितता इसे रोचक बनाती है. जीवन जिस रूप में भी हमारे समक्ष आए इसे स्वीकार करना चाहिए.
जीवन में हम कई तरह की भावनाओं से जुड़े रहते हैं .ये हमारे रिश्तों का आधार हैं.अच्छी भावनाएं हमें सुख देती हैं जबकि बुरी भावनाएं दुःख का कारण होती हैं .अतः हमें इन्हें नियंत्रित करना चहिये.
जीवन की सार्थकता विपरीत परिस्तिथियों में भी आगे बढ़ने में है.
हमें दो बातें याद रखनी चाहिए :- इस दुनिया में जो भी होता है वह ईश्वर द्वारा नियंत्रित है . अतः जो भी होता है वह ईश्वर की इच्छा है . इश्वर हमारा परम हितैषी है.
हर व्यक्ति प्रसन्न रहना चाहता है किन्तु कोई नहीं जनता की वास्तविक खुशी कहाँ है. अतः स्वयं को प्रसन्न करने के हमारे प्रयास अक्सर हमें दुःख देते हैं.
सदैव अपनी क्षमताओं पर ध्यान दें , अपनी अक्षमताओं पर अधिक ध्यान न केन्द्रित करें यह रुख  आपको जीवन का साहस के साथ सामना करने में मदद करेगा.
ईश्वर ने हमें उसकी पूर्णता को समझने के लिए सब कुछ प्रदान किया है. हम जो भी अपूर्णता महसूस  करते हैं  वह ईश्वर को पूर्णतया न समझ पाने के कारण होती है .
जिस तरह हमने सोचा था उस तरह चीजों का न होना ही हमें दुःख देता है.
कठिन समय ईश्वर की तरफ से हमारी शक्ति की परीक्षा लेने के लिए भेजा जाता है. अतः हमें बिना डरे इसका सामना करना चाहिए. इसी तरह हम विजय प्राप्त कर सकते हैं.
पढ़ी हुई अच्छी बातें तभी हमारे काम आती हैं जब उन्हें जीवन में उतारा जाये.
जब हम अच्छा समय व्यतीत करते हैं तो यह भूल जाते हैं की इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है. अतः अच्छे समय के बीत जाने पर हम दुखी होते हैं.
इच्छा करना बुरा नहीं है किन्तु अक्सर हम इच्छित वास्तु से स्वयं को इस तरह जोड़ लेते हैं की हम अपने पास की  समस्त अच्छी वस्तुओं की अनदेखी करने लगते हैं. इच्छित वास्तु के न मिलने पर हम टूट जाते हैं.
जीवन संघर्ष में ईश्वर सदैव हमारे साथ है,हमें जीवन की कठिनाईयों से लड़ने की ताकत देता है. हमे सिर्फ अपने विश्वास को दृढ़ करने की आवश्यक्ता है.
जब भी हम कुछ करते हैं तो सबसे पहले हमको अपनी अंतरात्मा का सामना करना पड़ता है. यदि हम अपनी अंतरात्मा को संतुष्ट कर सकें तो हमे बिना भय के आगे बढ़ना चाहिए.
जब आपके चुने हुए मार्ग में कोई व्यवधान आए तो निराश न हों. इसे ईश्वर की इच्छा समझ कर नया रास्ता खोजने  का प्रयास करें. यदि आप धैर्य पूर्वक प्रयास करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी.
  सूरज के डूब जाने पर जब सर्वत्र अँधेरा हो जाता है तब एक बात निश्चित  होती है की अगले दिन फिर सवेरा होगा.उसी प्रकार जब सब तरफ दुःख व्याप्त हो तो समझना चहिये की सुख आने ही वाला है.
अँधेरे का अपना कोई वजूद नहीं है यह रोशनी का आभाव है . इसी तरह अज्ञानता और कुछ नहीं  ज्ञान का आभाव है. हम अपने प्रयास से इन्हें  दूर कर सकते हैं.
दशहरा अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है.आज के दिन हम यह प्रण लें की हम अपनी बुरी आदतों पर विजय पायेंगे और अपना जीवन सुन्दर बनाएंगे.  
जब हर तरफ से निराशा घेर ले और आप को  दुखों से छुटकारा पाने की कोई राह न मिले तो ऐसे समय में प्रार्थना से नई शक्ति मिलती है.  
हर व्यक्ति में कोई न कोई खूबी अवश्य होती है.उसे पहचानिये और उसे बढाइए.परन्तु कभी भी दूसरों की नक़ल मत करें.स्वयं को पहचानिये और वही बनने का प्रयास कीजिये.
प्रवीणता का अर्थ कमियों  का न होना  नहीं है .वरन प्रवीणता इस बात में है की आप किस प्रकार अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं.इस विषय में आपकी दृढ़ता आपको पूर्ण बनाती है.  
यदि आप किसी का भला करते हैं तो यह उस व्यक्ति के साथ साथ आपको भी खुशी मिलाती  है.
आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म दिन है. अपनी सादगी सत्यनिष्ठा के लिए वो पूरी दुनिया में विख्यात हैं. उन्होंने अपने अद्भुत अस्त्र अहिंसा के बल पर हमें आजादी दिलाई. सत्य के साथ अपने प्रयोगों द्वारा उन्होंने अपनी कमजोरियों पर विजय पाई और महात्मा की उपाधि प्राप्त की.मेरा उन्हें शत शत नमन.
जिस प्रकार बंद खिड़की के खुलने पर ताजी हवा अन्दर आती है और बासी हवा बाहर निकल जाती है. उसी तरह जब हम अपना दिमाग खुला रखते हैं तो नए नए  विचार आते हैं और पुराने विचार निकल जाते हैं .
अपनी गल्तियों पर शोक करने का कोई लाभ नहीं है . बुद्धिमानी तो यह है की उनसे सीख लेकर भविष्य में उन्हें न दोहराया जाये .
हमारे सारे विफल प्रयास आने वाली बड़ी सफलता की नीव बन जाते हैं यदि हम दृढ़ता से अपने प्रयास में लगे रहे.
आस्था हीन व्यक्ति जल्दी टूट जाता है. आस्थावान व्यक्ति जानता है की ईश्वर उसके साथ है.
मुसीबत के समय परेशान न  हों. बदलाव सृष्टि का नियम है.जल्द ही यह समय गुजर जायेगा और  अच्छा समय आएगा
समाज के प्रति हर व्यक्ति उत्तरदायी है. अतः एक दूसरे पर उंगली उठाने के बजाए हम वो करें जो हम कर सकते हैं.
दूसरों के साथ व्यवहार करते समय ध्यान रखें की उनके साथ वह न करें जो आप स्वयं के प्रति किया जाना पसंद नहीं करेंगे.
क्षमता का अर्थ है समस्या का निडरता से सामना करना. अक्षमता का अर्थ है उससे दूर भागना.
भविष्य के बारे में सोंच कर चिंतित न हों.स्वयं को इतना सक्षम बनाये की भविष्य में आने वाली किसी भी समस्या का बिना विचलित हुए सामना कर सकें.
परिस्तिथियाँ नहीं बल्कि हमारा नजरिया ही हमारे दुखों का कारण है.सकारात्मक सोंच हमें विकट परिस्तिथियों से उबार लेती है.जबकि नकारात्मक सोंच हमें ऐसे भंवर में फंसा देती है जहाँ से उबर पाना मुश्किल होता है.
कठिनाईयां और कष्ट जीवन का वह हिस्सा हैं जो हमें जीवन को सही प्रकार से जीना सिखाते हैं. यदि हम बिना विचलित हुए इनका सामना करें तो हम जीवन को सार्थक बना सकते हैं.
जीवन में एक उद्देश्य तय करो .उसे पाने के लिए कठिन परिश्रम करो. यदि तुम अपने इरादे में अडिग रहो तो अपने लक्ष्य तक पहुचने का रास्ता पा जाओगे.
जीवन अप्रत्याशित है .यह  पल पल  बदलता है .अतः निराश न हो .ईश्वर पर आस्था रखो .हो सकता है आने वाला कल तुम्हारे लिए खुशियों का सन्देश लेकर आए.
धर्म एक पथ है किन्तु अध्यात्म वह इरादा है जो हमें ईश्वर तक ले जाता है .
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यदि हम निष्ठा पूर्वक ईश्वर पर आस्था रखते हुए प्रयास करेंगे तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी .  
हम शांतिपूर्ण और सुखद जीवन व्यतीत कर सकते हैं यदि हम बिना घबराए कठनाईयों का सामना करना सीख सकें .
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ईश्वर में आस्था और धैर्य हमें जीवन में दूर तक ले जाते हैं अतः इन्हें न छोड़े.
वह व्यक्ति जो विपरीत परिस्तिथियों में धैर्य नहीं छोड़ता बहादुर है. क्योंकि अनुकूल परिस्तिथियों का तो हर कोई लाभ उठा लेता है किन्तु विपरीत परिस्तिथियों में धैर्य रख पाना कठिन है .इसके लिए बुद्धि और साहस चाहिए .
शिकायत न करें बल्कि जो आपके पास है उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दें .याद रखें बहुत से लोग हैं जिनके कष्ट आपसे बहुत अधिक हैं .
ईश्वर हमें धैर्य प्रदान करे ताकि हम उन स्तिथियों का शांति पूर्वक सामना कर सकें जो बदल नहीं सकतीं , साहस दें की हम उन स्तिथियों को बदल सकें जो बदल सकती हों , बुद्धि दें ताकि दोनों स्तिथियों में अंतर कर सकें.
उम्मीद से बढ़कर कोई दौलत नहीं यह है तो सब कुछ है यह नहीं तो कुछ नहीं.
माँ की ममता , चिलचिलाती धूप में शीतल छाँव , कडकडाती सर्दी में गुनगुनी गर्माहट , जलते जख्म पर ठंडा मरहम , कर्कश शोर में मीठी सरगम.