परिस्तिथियाँ नहीं बल्कि हमारा नजरिया ही हमारे दुखों का कारण है.सकारात्मक सोंच हमें विकट परिस्तिथियों से उबार लेती है.जबकि नकारात्मक सोंच हमें ऐसे भंवर में फंसा देती है जहाँ से उबर पाना मुश्किल होता है.
कठिनाईयां और कष्ट जीवन का वह हिस्सा हैं जो हमें जीवन को सही प्रकार से जीना सिखाते हैं. यदि हम बिना विचलित हुए इनका सामना करें तो हम जीवन को सार्थक बना सकते हैं.