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Showing posts from April 14, 2013
दर्प से बड़ा कोई शत्रु नहीं।
आप अपनी सोंच बदल कर जीवन में अपेक्षित बदलाव ला सकते हैं।
जो व्यक्ति हर आने वाले दिन का पूरे उत्साह से स्वागत करता है वह सही मायनों में सुखी है।
हमारी अपेक्षाओं एवं वास्तविकता के बीच का अंतर ही हमें कष्ट देता है।
हम में से बहुत जिस मंजिल पर पहुंचना चाहते हैं उसकी ओर गलत रास्ते पर बढ़ रहे हैं। वहाँ कैसे पहुंचेंगे।
मुस्कान आपका आकर्षण बढ़ा देती है। अतः मुस्कुराइये।
अपने भीतर वो आत्मविश्वास जगाएं की आप चुनौतियों के लिए चुनौती बन सकें।
यदि हम दृढप्रतिज्ञ हों तो प्रतिकूलताओं को हरा सकते हैं।