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Showing posts from December 18, 2016
अपने परिवेश से वैसे ही प्रेम करो जैसे स्वयं से करते हो। 
प्रेम एवं करुणा जीवन के आवश्यक गुण हैं। 
जीवन के उतार चढाव हमें लड़ने की ताक़त देते हैं। 
रचनात्मक कार्यों में स्वयं को संलग्न करें। रचनात्मकता आपको पूर्ण बनाती है। 
विचारों में व्यक्तित्व बदलने की क्षमता होती है। 
अपने भीतर छिपे गुणों को पहचान कर बाहर लाएं। 
बेहतर कल की उम्मीद ही विकास का आधार है।