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Showing posts from May 5, 2013
'माँ ' के चारों ओर सारा संसार बसता है।
शब्द किसी को प्रेरित भी कर सकते हैं और किसी के उत्साह को तोड़ भी सकते हैं। शब्दों में बहुत ताक़त होती है। सोंच समझ कर बोलें।
अपने भीतर बेकार जमा पड़ी जानकारी  निकाल दें। वास्तविक ज्ञान आपके भीतर ही है।
आपसी विश्वास संबंधों का आधार है। जब विश्वास ख़त्म हो जाता है तब संबंधों में दरार आ जाती है और सब कुछ बिखर जाता है।
सत्य को पूर्ण अनुग्रह से स्वीकार करना एवं कठिनाईयों में भी गरिमा बनाए रखना ही परिपक्वता है।
अपने अहम् को त्याग कर हम सारे विश्व को अपना सकते हैं।
कठिनतम परिस्तिथियों में भी हार न मानना असली जीत है।