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Showing posts from October 12, 2014
प्रकृति में इतनी विभिन्नता है। अनेक प्रकार के जीव जंतु, पशु पक्षी, फल फूल। किन्तु इस विभिन्नता के पीछे क्या है? इन सभी  विभिन्न रूपों में  एक ही तत्व  विद्यमान है, 'ईश्वर'। स्वयं श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता में कहा है कि ' मैं ही विभिन्न रूपों में वास करता हूँ। इस सम्पूर्ण जगत का बीज प्रदान करने वाला पिता मैं ही हूँ।' अतः विभिन्नता में बसे उस एक तत्व को पहचानिये। 
शांति के लिए हम दर दर भटकते हैं। कई उपाय करते हैं किन्तु शांति हमारे भीतर है। आवश्यता उसे अनुभव करने की है।  मन का भटकाव ही इसका कारण है। जब मन भटकना बंद कर देता है तब शांति अनुभव होती है।
जो ईश्वर ने दिया है उसका सम्मान करें। 
जब आप स्वयं को पूर्णतया किसी मकसद के सुपुर्द कर देते हैं तो सफल अवश्य होते हैं। 
जो भी करें पूरे आत्मविश्वास से करें।