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Showing posts from April 22, 2012
परेशान मन के लिए एक ही विश्राम स्थल है , ईश्वर.
सतत प्रयास, दृढ आस्था, मजबूत इरादा आपको लक्ष्य तक ले जाते हैं.
यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड तीन गुणों के आधीन है सात्त्विक, राजसिक, और  तामसिक. ये गुण  हर प्राणी में निहित हैं  जो इन तीन गुणों से ऊपर उठ सकता है वही ईश्वर को पा सकता है.
यदि आपको विश्वास है की ईश्वर आप की प्रार्थना का फल देगा तभी वह आप की प्रार्थना सुनेगा.आप की आस्था से बढ़कर कुछ नहीं है.
हमें विपरीत परिस्थितियों में भी ईश्वर के प्रति अपने विश्वास को बनाये रखना चाहिए.यह हमें साहस पूर्वक मुसीबतों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है.
परम पुरुष अपनी एक दृष्टि से प्रकृति के गर्भ में बीज आरोपित करता है. प्रकृति के गर्भ से इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड का जन्म होता है. सभी प्राणियों के लिए ईश्वर बीज दाता पिता हैं.
"ॐ तत सत" ब्रह्म  के तीन अभिधान हैं. "ॐ" शब्द ब्रह्म सृष्टि की उत्पत्ति है. "तत" जो अवर्णनीय है, अनंत है, चिर स्थाई है जो सबका पालन हार है वह मध्य है. "सत" जो परम वास्तविकता है वही इस सृष्टि का अंतिम आश्रय है.
वह जो कभी नहीं बदलता है, जो चिर स्थायी है, जो तीनो काल में विद्यमान है, जो अजन्मा है, अविनाशी है, जिससे संपूर्ण सृष्टि उपजती है और जिसमें लय हो जाती है वह परम सत्य ही ईश्वर है.