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Showing posts from August 11, 2013
जब हम पूर्ण उत्साह के साथ आगे बढ़ते हैं तो कठिनाइयों के हौंसले भी पस्त हो जाते हैं। 
बुरी संगत से दूर रहें और अच्छी संगत कभी न छोड़ें।
या तो आप मन को वश में कर लें नहीं तो  फिर यह आपको अपने वश में कर लेगा। 
हम राजनितिक स्तर पर स्वतंत्र राष्ट्र हैं किन्तु अभी भी अपनी कमियों के ग़ुलाम हैं। एक शक्तिशाली राष्ट्र के निर्माण हेतु अपनी कमियों को दूर कर एक सुदृढ़ चरित्र का निर्माण ज़रूरी है। 
इस दुनिया को जानने के लिए हम इतने बहिर्मुखी हो जाते हैं कि स्वयं को नहीं समझ पाते हैं। 
जब सारे विचार समाप्त हो जाते हैं तब शांत मन आत्मा में रमण करता है। कठिन है किन्तु यही एकमात्र मार्ग है। 
ईश्वर से  हमारे सम्बन्ध की जानकारी ही वास्तविक ज्ञान है। स्वयं को जानो तो ईश्वर को जान पाओगे।