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Showing posts from June 2, 2013
ज्ञान से अधिक उसका प्रयोग अधिक उपियोगी है।
ख़ुशी और प्रेम जितना बांटो उतना ही अधिक संतोष मिलता है।
पूर्ण समर्पण का अर्थ अकर्मण्यता नहीं वरन सब कुछ ईश्वर को सौंप कर निश्चिंतता से कर्म करना है।
जीवन के सफ़र में कभी कभी रास्ता आसानी से कटता है तो कभी रुकावट आ जाती है। दोनों ही दशाओं में भावनाओं पर नियंत्रण आवश्यक है।
विषम परिस्तिथि में बिना घबराये बुद्धि का प्रयोग करने वाला ही उससे पार होता है।
जब हम किसी काम को पूरे उत्साह से करते हैं तो थकान भी नहीं लगती है और परिणाम भी अच्छा निकलता है।
आप परिस्तिथियों के सामने झुक भी सकते हैं और उनका सामना भी कर सकते हैं। चुनाव आपका है। किन्तु लड़े बिना जीत नहीं मिलती है।