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Showing posts from December 11, 2016
जो स्वयं प्रसन्न रहता है वो दूसरों को भी प्रसन्न कर सकता है। 
जो मिला है उसे ख़ुशी से स्वीकार करना सीखें। 
सुखद भविष्य की नींव उम्मीद, साहस एवं दृढ़ता पर तिकी होती है। 
अच्छा वक्ता होने के लिए अच्छा श्रोता होना आवश्यक है। 
धैर्य का अर्थ अकर्मण्य होना नहीं है। धैर्य पूर्ण विश्वास के साथ प्रयास जारी रखना है। 
हर परिस्तिथि में प्रयास करना ही विकास का मंत्र है।