मष्तिष्क को जैसी खुराक मिलती है वह उसी प्रकार सोंचता है . सकारात्मक सोंच से व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलाती है जबकि नकारात्मक सोंच व्यक्ति को पीछे खींचती है.
व्यक्ति को मारा जा सकता है उसकी विचारधारा को नहीं. नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी की हत्या की किन्तु गाँधी आज भी अहिंसा के सिद्धांत के द्वारा लोगों को अपने अधिकारों के लिए शांति पूर्ण ढंग से लड़ने को प्रेरित कर रहे हैं.