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Showing posts from May 10, 2015
स्थिति को स्वीकार करने का अर्थ उससे समझौता करना नहीं। वरन स्तिथि को समझ कर उसके अनुसार काम करना है। 
नए विचारों को अपनाएं। किसी के प्रति पूर्वाग्रह ना रखें। ये संसार हर क्षण बदलता है।  बदलाव को स्वीकार करें। 
जैसे प्रतिध्वनि आपके पास लौट कर आती है वैसे ही आपके कर्म भी आपके पास आते हैं। अच्छे कर्म करें। 
त्रुटि होना प्राकृतिक है। अतः परेशान न हों। उससे सीख कर आगे बढ़ें। 
धैर्य, शांत चित्त, सतत प्रयास सफलता देते हैं। 
आपके कर्म आपको बनाते भी हैं और बिगाड़ते भी। अतः सोंच समझ कर कर्म करें। 
उम्मीद उत्साह देती है।