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Showing posts from October 16, 2011
जीवन में हम कई तरह की भावनाओं से जुड़े रहते हैं .ये हमारे रिश्तों का आधार हैं.अच्छी भावनाएं हमें सुख देती हैं जबकि बुरी भावनाएं दुःख का कारण होती हैं .अतः हमें इन्हें नियंत्रित करना चहिये.
जीवन की सार्थकता विपरीत परिस्तिथियों में भी आगे बढ़ने में है.
हमें दो बातें याद रखनी चाहिए :- इस दुनिया में जो भी होता है वह ईश्वर द्वारा नियंत्रित है . अतः जो भी होता है वह ईश्वर की इच्छा है . इश्वर हमारा परम हितैषी है.
हर व्यक्ति प्रसन्न रहना चाहता है किन्तु कोई नहीं जनता की वास्तविक खुशी कहाँ है. अतः स्वयं को प्रसन्न करने के हमारे प्रयास अक्सर हमें दुःख देते हैं.
सदैव अपनी क्षमताओं पर ध्यान दें , अपनी अक्षमताओं पर अधिक ध्यान न केन्द्रित करें यह रुख  आपको जीवन का साहस के साथ सामना करने में मदद करेगा.
ईश्वर ने हमें उसकी पूर्णता को समझने के लिए सब कुछ प्रदान किया है. हम जो भी अपूर्णता महसूस  करते हैं  वह ईश्वर को पूर्णतया न समझ पाने के कारण होती है .