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Showing posts from February 15, 2015
संतोष प्रसन्नता देता है। 
आपके कर्म ही आपकी नियति तय करते हैं। 
ईश्वर में आस्था , स्वयं पर विश्वास प्रसन्न रहने के लिए आवश्यक हैं। 
आपकी तलाश आपके भीतर ख़त्म होती है। 
सकारात्मक सोंच आगे ले जाती है जबकि नकारात्मक सोंच पीछे ढकेलती है।