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Showing posts from February 26, 2012
धैर्य एवं अथक उधोग चमत्कार कर सकते हैं.
चिंता और भय ये दोनों मस्तिष्क को बहुत परेशान करते हैं. इन्हें केवल प्रफुल्ल मन एवं सकारात्मक विचारों द्वारा ही दूर किया जा सकता है. अतः प्रसन्न रहे तथा सकारात्मक सोंच अपनाएं.
दृढ संकल्प की कमी किसी भी कार्य में सबसे बड़ी बाधा है.
जिस प्रकार सूर्य की उपस्तिथि में अँधेरा नहीं ठहरता उसी प्रकार यदि हम स्वयं को ईश्वर के सामने समर्पित कर दें तो हमारी सारी चिंताएं, संशय तथा दुःख स्वतः ही दूर हो जायेंगे.
वास्तविकता से कोई पीछा नहीं छुड़ा सकता है. जो ऐसा करता है वह उस शुतुरमुर्ग की भांति व्यहवार करता है जो बालू में आपना सर छुपाकर यह सोंचता है की शिकारी उसे नहीं देख पा रहा है.
जीवन शैली में कोई भी परिवर्तन एक दिन में नहीं आता. उसका अभ्यास करना पड़ता है. अतः धैर्य पूर्वक धीरे धीरे जीवन शैली को बदलने का प्रयास करें.
हमें बुरे और नकारात्मक विचारों को अपने मस्तिष्क में प्रवेश करने से रोकना चाहिए. जिस प्रकार मट्ठे की एक बूँद पूरे दूध को ख़राब कर देती है उसी प्रकार ये हमारे विचारों को दूषित कर सकती हैं.