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Showing posts from April 15, 2012
आस्था जीवन का मुख्य आधार है. आस्था हीन मनुष्य कुछ प्राप्त नहीं करता.
जिसमे दृढ़ता न हो वह अपनी मंजिल नहीं पा सकता है.
इस संसार में प्रत्येक जीव की मंजिल ईश्वर ही है. जाने या अजाने हर जीव उसी तरफ बढ़ रहा है. जब तक जीव और ईश्वर का मिलन न हो जाये जीव की यह यात्रा चलती रहेगी.
किसी अतिथि के सत्कार के लिए जिस प्रकार घर की सफाई की जाती है उसी प्रकार इश्वर के लिए मन को निर्मल बनायें.
करुणा एक दैवीय भाव है. ईश्वर करुणा से भरपूर है. जो भी प्राणियों पर दया दिखाता है वह ईश्वर के समीप होता है.
ईश्वर इस जगत का रचयिता, पालन कर्ता, और संहारक है. वही समस्त ब्रह्माण्ड का आदि, अंत, एवं मध्य है. ईश्वर ही सब कुछ है.
आस्था के बिना संपूर्ण ज्ञान दल दल पर ईमारत खड़ा करना है.
एक ही चेतना सभी प्राणियों में प्रकट है. यह शाश्वत है, स्व-प्रकाशित है और सर्वव्यापी है. यह चेतना ही ईश्वर है.