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Showing posts from June 28, 2015
बिना स्वयं को स्वीकार किये संसार को स्वीकार करना कठिन है। 
शांत मष्तिष्क ही शांति फैलाता है। 
स्तिथि को समझते हुए निर्णय लेना समझदारी है। 
अच्छाई प्रसन्नता लाती है। 
संतोष आंतरिक बल देता है। 
प्रकृति प्रेम का पाठ पढ़ाती है। 
प्रगति के लिए संघर्ष आवश्यक है।