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Showing posts from December 23, 2012
समाज हमसे बनता है अतः कोई भी परिवर्तन तभी होगा जब हम बदलेंगे।
समाज के हित में अपने निजी स्वार्थों का बलिदान ही एक सशक्त समाज को जन्म देता है।
क्षमा का भाव हमें महान बनाता है।
करुणा का भाव हमारे ह्रदय को पवित्र करता है।
यदि हम सबसे प्रेम करना सीख लें तो सम्पूर्ण संसार एक घर बन जायेगा।
प्रेम, दया,  क्षम, त्याग प्रभु  ईसा मशीह की  शिक्षाएं हैं। हमें इन पर अमल करना चाहिए।
जो स्वयं पर यकीन नहीं करता वह किसी पर यकीन नहीं करता।