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Showing posts from March 9, 2014
अपने भीतर का परिवर्तन बाहर भी अनुभूत होता है। 
विविधता सजीवता का लक्षण है। इसे स्वीकार करें।
बिना तय  मंज़िल के राह पर भटकना व्यर्थ है। 
एक एक ईंट जोड़कर महल बनता है। छोटे छोटे प्रयास ही सफलता की तरफ ले जाते हैं। 
भय से मुक्ति के लिए पहले उसे स्वीकार करें।
अपने भीतर छिपी क्षमता को पहचानें। उसे व्यर्थ न जानें दें। 
कमियां होना बुरा नहीं किन्तु उनसे हार जाना घातक है।