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Showing posts from September 15, 2013
छोटे छोटे कदमों से ही लम्बी दूरी तय की जा सकती है। 
जैसे वादियों में प्रतिध्वनि सुनाई देती है वैसे ही जैसे कर्म हम करते हैं वैसे ही प्रतिफल हमें मिलते हैं। 
सकारात्मक सोंच प्रतिकूल परिस्तिथियों को भी अनुकूल बना देती है। 
जब लक्ष्य बड़ा हो तो मार्ग की कठिनाइयों से डरने की बजाय उसे पाने के लिए स्वयं को प्रोत्साहित करें।
प्रतियोगिता में जब दुर्भावना आ जाती है तो वह ख़तरनाक हो जाती है। 
तकलीफों के बारे में शिकायत करने से कोई हल नहीं निकलता है। समस्याओं का सामना करके ही उन्हें दूर किया जा सकता है। 
आत्म विश्वास के बिना कुछ भी संभव नहीं है।