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Showing posts from November 22, 2015
प्रसन्नता का स्रोत शांति है। 
बाहर अशांति हो तो भीतर की शांति भी नष्ट हो जाती है। 
धैर्य से विजय मिलती है और अधैर्य कमज़ोरी की निशानी है। 
सत्कर्म आपको अमर कर देते हैं। 
आपके कर्म आपके और समाज के हित में होने चाहिए। 
परिणाम आपके प्रयासों पर निर्भर है।