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Showing posts from September 2, 2012
प्रार्थना वह डोर  है जो हमें इश्वर से बांधती है। यह हमारे ह्रदय को शुद्ध कर हमें आध्यात्मिक बल प्रदान कराती है।
जब हमारे साथ कुछ अच्छा होता है हम खुश होते हैं परन्तु जब हम दूसरों का भला करते हैं तो हमें पूर्ण संतोष मिलता है।
एक शिक्षक का कार्य केवल पढ़ाना ही नहीं होता बल्कि अपने शिष्य में सीखने की लालसा जगाना भी होता है। वह अपने शिष्य को जीवन के मूल्य सिखा कर उनका चरित्र निर्माण करता है ताकि वे जिम्मेदार व्यक्ति बन सकें।
यदि हम वर्तमानं में सही प्रकार से काम करें तो भविष्य में सब ठीक होगा।
हमारे छोटे छोटे प्रयास महत्व रखते हैं, छोटे छोटे कदम ही हमें मंजिल तक पहुंचाते हैं।