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Showing posts from September 23, 2012
कुछ अभद्र शब्द आपके व्यक्तित्व पर दाग लगा देते हैं।
एक राज्य था। वहां की प्रजा को पहली बार यह अधिकार मिला की वह अपना राजा  स्वयं चुने। प्रजा बहुत प्रसन्न थी। राज्य के दो उत्तराधिकारी थे एक "आपनाथ" और दूजे "सांपनाथ". पहले चुनाव का समय आया दोनों प्रत्याशियों ने जनता को रिझाने की पुरजोर कोशिश की। जनता से बड़े बड़े वादे किये किन्तु आपनाथ ने बाजी मार ली। जनता बेहद खुश थी की अब उसके दिन बदलेंगे किन्तु गद्दी पर बैठते ही आपनाथ प्रजा को भूल गए। आपनाथ  की नज़र राजकीय कोष पर पड़ी। उन्होंने दोनों हाथों से उसे लुटाना आरम्भ कर दिया। आपनाथ और उनके सगे सम्बन्धियों के दिन बदल गए। सूखी रोटी को तरसने वाले मलाई खाने लगे। जनता दो वक़्त की रोटी को त्राहि त्राहि करने लगी। सांपनाथ ने जनता के हित में बहुत आंसू बहाए और आपनाथ  और उनकी नीतियों का कड़ा विरोध किया। प्रजा को लगा की उनसे भारी भूल हो गयी। उनका परम हितैषी तो सांपनाथ है। जनता उस दिन की प्रतीक्षा करने लगी जब आपनाथ को हटा कर सांपनाथ को गद्दी पर बिठा सके। जल्द ही वो समय भी आया। इस बार प्रजा ने सांपनाथ को चुना। एक बार फिर प्रजा सुखद भविष्य के सपने देखने लगी। गद्दी पर बैठते ही सांपनाथ का भ
विश्वास की कमी हमें हराती है, अतः ईश्वर में विश्वास को मजबूत करें।
अच्छे कर्मों को छोड़ कर कुछ भी लम्बे समय तक नहीं रहता है।
अथक प्रयास कठिनाईयों को थका देते हैं।
मौन वाणी से अधिक सिखाता है। मौन को सुनने का प्रयास करें।
दफ्तर से निकल कर निखिल टहलते हुए बस स्टैंड की तरफ चल दिया। बस के आने में अभी समय था। सड़क के किनारे मज़मा लगा देख कर वह भीड़ में घुस गया। एक मदारी बन्दर का नाच  दिखा रहा था। मदारी डुग डुगी बजाता था और रस्सी से बंधा बन्दर बंदरिया का जोड़ा उसके इशारे पर ठुमक ठुमक कर नाच रहा था। बच्चे ताली बजाकर इस तमाशे का आनंद ले रहे थे। थोड़ी देर में तमाशा ख़त्म हो गया। सबने मदारी को पैसे दिए और अपनी अपनी राह चल दिए। निखिल ने भी दस रुपये का नोट मदारी को दिया और बस स्टैंड पर खड़ा होकर बस की प्रतीक्षा करने लगा। वहां खड़े खड़े एक अजीब सा ख्याल उसके मन में आया। उस में और मदारी के बन्दर में फ़र्क  ही क्या है। बन्दर की तरह वह भी तो कभी घरवालों तो कभी अपने बॉस के इशारे पर नाचता रहता है। यह विचार आते ही बन्दर के लिए उसके मन में सहानुभूति जाग उठी।
अपनी गल्ती मान लेने का अर्थ उसे आधा ठीक कर लेना है।
सफल होना कठिन है किन्तु  सफलता को  बरक़रार रखना और भी मुश्किल है।