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Showing posts from May 20, 2012

भोर

  घर के आँगन में एक नन्ही सी लड़की किलकारियां मार रही थी. ठुमक ठुमक कर पूरे आँगन में घूम रही थी. अचानक ही प्रश्न भरी निगाहों से देखते हुए बोली " ऐसा क्यों कर रही हो ? क्या मैं तुम्हारा अंश नहीं ? मुझे भी तो तुमने अपने रक्त से सींचा है . तो फिर क्यों ? सिर्फ इसलिए की मैं एक लड़की हूँ." वसुधा की आँख खुल गयी. पसीने से पूरी तरह भीगी हुई थी. कुछ देर तक बिस्तर में बैठी सपने के बारे में सोंचती रही.फिर ताज़ी हवा खाने बालकनी में आ गयी.  चिड़ियाँ चह चहा रही थीं . आसमान  में एक रक्तिम लकीर जल्द ही सवेरा होने की सूचना दे रही थी. किन्तु उसके मन में निर्णय का सूर्य निकल आया था वह अपनी बच्ची को जन्म देगी.
दृढ़ आस्था कभी निराश नहीं करती है.
जिस प्रकार प्रकाश अंधकार दूर कर देता है उसी प्रकार दृढ़ आस्था सारे संशय मिटा देती है.
ईश्वर पर पूर्ण आस्था रखने वाला सदैव भय मुक्त और प्रसन्न रहता है.
जो भी जीवन में मिले उसे बिना शिकायत के स्वीकार करो. उतार चढ़ाव जीवन का हिस्सा है.
ईश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण स्थाई ख़ुशी लाता है.
ईश्वर शाश्वत आनंद का झरना है इसमें स्वयं को सराबोर कर लो.
अहम् रिश्तों के बीच में दीवार खड़ी कर देता है जो भावनाओं  के प्रवाह में बाधा उत्पन्न करती है. अतः अहम् की दीवार गिरा दो.