अधिकारों से पहले कर्त्तव्य आते हैं, हम अक्सर अपने अधिकारों की चर्चा करते हैं किन्तु अपने कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करते. पहले अपने कर्तव्य का पालन करें फिर अधिकार मांगें.
एक चींटी जो बार बार गिरती है पर दीवार पर चढ़ने का प्रयास जारी रखती है और अंत में सफल हो जाती है, तो मनुष्य क्यों हार मान ले जो उससे कहीं अधिक योग्य है.
एक छोटा सा बीज धरती को फोड़कर अंकुरित होता है और धीरे धीरे एक विशाल वृक्ष बन जाता है यह उसकी दृढ शक्ति है. मनुष्य भी यदि दृढ संकल्प हो तो अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है.
समय एक नदी के समान है और हम उसमें बहने वाली धारा, जो कुछ समय तक इसके साथ बहती हैं और बाद में इसमें विलीन हो जाती हैं. हम में से कुछ इस यात्रा में अपने चिन्ह छोड़ जाते हैं.