कुछ प्राप्त करने के लिए हमारा अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण रूप से केन्द्रित होना आवश्यक है. जो दो लक्ष्यों पर निशाना साधता है वह एक भी लक्ष्य नहीं भेद पाता है.
अनियंत्रित मन उस जंगली घोड़े की तरह है जो इधर उधर भटक कर अपनी ऊर्जा बेकार करता है. इसे पालतू बनाने की ज़रुरत है. इस की लगाम कस कर थाम लें ताकि इसे अपने अनुसार चलाया जा सके. यह कार्य कठिन अवश्य है पर संभव है.