जिस प्रकार सूर्य की उपस्तिथि में अँधेरा नहीं ठहरता उसी प्रकार यदि हम स्वयं को ईश्वर के सामने समर्पित कर दें तो हमारी सारी चिंताएं, संशय तथा दुःख स्वतः ही दूर हो जायेंगे.

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