वास्तविकता से कोई पीछा नहीं छुड़ा सकता है. जो ऐसा करता है वह उस शुतुरमुर्ग की भांति व्यहवार करता है जो बालू में आपना सर छुपाकर यह सोंचता है की शिकारी उसे नहीं देख पा रहा है.
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
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