बदलाव लेन हेतु स्वयं को बदलना ज़रूरी है।
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Showing posts from April 13, 2014
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जीवन दो विपरीत तटों पर बहाने वाली नदी है। जन्म मृत्यु, सुख दुःख, मिलन विछोह इत्यादि। हम सभी इन द्वंदों के बीच झूलते रहते हैं। दुःख के समय भयभीत होकर विलाप करते हैं तो सुख में सब कुछ भूल कर भोग में लीं हो जाते हैं। यही हमारे कष्ट का कारण है। दो विपरीत परिस्तिथियों के बीच संतुलन बनाना ही सही जीवन शैली है।