जिस प्रकार लहरें सागर में उठती हैं कुछ देर ठरती हैं और सागर में विलीन हो जाती हैं उसी प्रकार यह संसार ईश्वर से जन्म लेता है ईश्वर में आश्रित रहता है और अन्त में ईश्वर में लीन हो जाता है.
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
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