प्रकृति में इतनी विभिन्नता है। अनेक प्रकार के जीव जंतु, पशु पक्षी, फल फूल। किन्तु इस विभिन्नता के पीछे क्या है? इन सभी विभिन्न रूपों में एक ही तत्व विद्यमान है, 'ईश्वर'। स्वयं श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता में कहा है कि ' मैं ही विभिन्न रूपों में वास करता हूँ। इस सम्पूर्ण जगत का बीज प्रदान करने वाला पिता मैं ही हूँ।' अतः विभिन्नता में बसे उस एक तत्व को पहचानिये।
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
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