मोर और गिद्ध
एक जंगल में एक मोर और एक गिद्ध रहते थे। दोनों एक दूसरे के पडोसी थे। मोर को अपनी सुन्दरता पर बहुत घमंड था। अक्सर गिद्ध से कहता रहता था " देखो मैं कितना सुंदर हूँ , जब मैं अपने खूबसूरत परों को फैला कर नृत्य करता हूँ तो सब मुग्ध हो जाते हैं। तुम्हारे पास क्या है।" गिद्ध कुछ नहीं बोलता था।
एक दिन गिद्ध ने देखा की मोर उदास बैठा है। उसने पास जाकर कारण पूंछा। मोर रोते हुए बोला " मेरा भाई आज सुबह से नहीं मिल रहा है। बिना बताये जाने कहाँ चला गया है। मैं तो अधिक ऊंचा उड़ भी नहीं सकता। कैसे खोजूं उसे।" गिद्ध बोला "बस इतनी सी बात मैं खूब ऊंचा उड़ भी सकता हूँ और दूर तक देख भी सकता हूँ। मैं अभी तुम्हारे भाई को खोज कर लाता हूँ।" यह कह कर वह उपर आकाश में चला गया। कुछ ही आगे जाने पर उसने देखा की मोर का भाई तालाब के पास घायल पड़ा है। उसने सब को सूचना दी। मोर तथा जंगल के अन्य प्राणियों ने वहाँ पहुँच कर घायल मोर को प्राथमिक उपचार दिया।
मोर अपने बर्ताव पर शर्मिंदा था। गिद्ध से क्षमा मंगाते हुए बोला " मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। मुझे माफ़ कर दो। मैं समझ गया ईश्वर ने सभी को कोई न कोई खूबी दी है। अतः हमें स्वयं पर गर्व नहीं करना चाहिए।"
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