आप स्वयं ही अपने चरित्र के निर्माता हैं. जो भी आप करते हैं या सोंचते हैं.आपके अवचेतन मन में अंकित हो जाता है. यह ही आपकी आदत बन जाता है जो आपके चरित्र का हिस्सा बन जाता है . अतः अच्छी आदतें डालें.
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
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