ईश्वर इस सृष्टि के कण कण में है. सूर्य, चन्द्र और तारों की रौशनी में ईश्वर है, माटी की सोंधी महक में ईश्वर है, ध्वनि में "ॐ" रूप में ईश्वर है. सभी प्राणियों के प्राण ईश्वर ही है. माया के भ्रम के कारण हम ईश्वर को पहचान नहीं पाते हैं. माया के परदे को हटा कर ही सर्वव्यापी ईश्वर के दर्शन होंगे.
जो व्यक्ति विषम परिस्तिथियों में भी जब उसका सब कुछ ख़त्म हो जाता है उम्मीद नहीं छोड़ता एक योद्धा होता है.
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