जहाँ हमारी सारी पीड़ा दुःख खुशियाँ चिंताएं गुण अवगुण मान यश सम्बन्ध संकुचित होकर समाप्त हो जाते हैं और शाश्वत आनंद का एक फव्वारा निकलता है वह बिंदु ही ईश्वर की अनुभूति है.

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